चित्तौरा ब्लॉक के बेरिया स्थित किंडर ज्वॉय एकेडमी में आयोजित सेमिनार में कई हस्तियाँ सम्मानित
Kahanikar Ramlal: यूपी के बहराइच जिले के चित्तौरा ब्लॉक क्षेत्र के बेरिया स्थित किंडर ज्वाय एकेडमी में उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी के तत्वावधान में प्रसिद्ध कहानीकार रामलाल की याद में एक संगोष्ठी और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रंजीत कौर और एकता श्रीवास्तव थीं। कार्यक्रम की शानदार शुरुआत राष्ट्रगान से की गई।

साहित्यकारों का योगदान और सम्मान
इस अवसर पर साहित्यकारों ने कहानीकार रामलाल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। शायर मजहर सईद ने अपनी शायरी में कहा, “सच्चा कहानीकार मेरा रामलाल है, सूरज सदा चमकता है, वह लाजवाब है।” वहीं कवयित्री फौजिया अमीन ने अपनी कविता “सबसे प्यारा मेरा हिन्दुस्तान है…” प्रस्तुत की। संगोष्ठी में अजीज जरवली, प्रीती मिश्रा और अन्य साहित्यकारों ने भी अपनी-अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।
रामलाल के जीवन पर चर्चा
डा. मसीहुद्दीन खान, डा. मेराजुद्दीन, डा. सुफियान अहमद, डा. राजकमल गुप्ता, मो. जमाल अहमद सिद्दीकी ने कहानीकार रामलाल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रामलाल ने न केवल कहानियाँ और उपन्यास लिखे, बल्कि सफरनामा और रेडियो ड्रम भी लिखे। उनके लेखन का उद्देश्य साहित्य की सेवा करना और अपने मुल्क के आवाम के लिए कुछ सार्थक योगदान देना था। उन्होंने उर्दू साहित्य के लिए कई कुर्बानियां दीं और अपने लेखन के जरिए समाज को जागरूक किया।
समारोह का संचालन और सम्मान
कार्यक्रम का संचालन डा. मसीहुद्दीन खान ने किया, जबकि अध्यक्षता डॉ. देवेन्द्र प्रताप बहादुर श्रीवास्तव ने की। इस मौके पर साहित्य और सामाजिक कार्यों से जुड़े 36 व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में दीपक मौर्य, अभय प्रकाश नारायण मौर्य, हर्षिता श्रीवास्तव, दर्शिता श्रीवास्तव, आफरीन, प्रीती मिश्रा, हेमंत, सूरज आफरीन, रीशू मिश्रा और अन्य लोग शामिल थे।
इस कार्यक्रम ने रामलाल की साहित्यिक धरोहर को सम्मानित करने के साथ-साथ उनके योगदान को याद करने का एक शानदार अवसर प्रदान किया।
जानिए कहानीकार रामलाल के बारे में

रामलाल उर्दू भाषा के एक प्रसिद्ध और सम्मानित साहित्यकार थे। उन्होंने उर्दू साहित्य में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। उनका लेखन उर्दू साहित्य की समृद्ध परंपरा का हिस्सा है और उनकी कृतियाँ समाज, संस्कृति और मानवता के विविध पहलुओं को उजागर करती हैं।
रामलाल के लेखन में संवेदनशीलता, मानव अनुभवों की गहराई और समाज के नज़रिए से एक विशिष्ट दृष्टिकोण दिखाई देता है। उनकी शैली सरल, सहज और प्रभावशाली है, जो पाठकों के दिल में गहरी छाप छोड़ती है।
रामलाल का प्रमुख साहित्यिक योगदान उनके द्वारा रचित कहानी–संग्रह “पखेरू” के माध्यम से हुआ। यह कहानी–संग्रह उर्दू साहित्य में एक मील का पत्थर साबित हुआ और इसके माध्यम से उन्होंने सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया। इस संग्रह में प्रत्येक कहानी का विषय और प्रस्तुति पाठकों को सोचने और आत्ममंथन करने के लिए प्रेरित करती है।
उनकी लेखनी की विशिष्टता और साहित्यिक योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें सन् 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनके उर्दू साहित्य के प्रति उनके योगदान की सराहना है और इस सम्मान से उनकी रचनात्मकता को मान्यता मिली।
रामलाल का लेखन न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज के जटिल पहलुओं को भी उजागर करता है। उनके काम ने उर्दू साहित्य को समृद्ध किया और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना।