Tej Pratap: तेज प्रताप यादव को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। इसके पीछे पार्टी के मुखिया और उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार और पारिवारिक मूल्यों के उल्लंघन को कारण बताया है।
मुख्य बिंदु:
- असम्बद्ध सदस्य का दर्जा:
- पार्टी से निष्कासित होने के बाद तेज प्रताप विधानसभा में असम्बद्ध (Unattached) सदस्य माने जाएंगे।
- उन्हें नई सीटिंग व्यवस्था दी जाएगी, यानी अब वे आरजेडी विधायकों के साथ नहीं बैठेंगे।
- दल-बदल कानून का प्रभाव:
- वे किसी और पार्टी में शामिल नहीं हो सकते।
- अगर ऐसा किया तो दल-बदल कानून के तहत उनकी विधायक की सदस्यता समाप्त हो सकती है।
- व्हिप का पालन अनिवार्य:
- हालांकि वे पार्टी से निष्कासित हैं, लेकिन कानूनी रूप से तब तक आरजेडी के टिकट पर निर्वाचित विधायक हैं, जब तक वे इस्तीफा नहीं देते या अयोग्य नहीं घोषित किए जाते।
- इसलिए विधानसभा में व्हिप जारी होने पर उन्हें आरजेडी के पक्ष में ही वोट करना पड़ेगा, वरना वे अयोग्य घोषित हो सकते हैं।
- पारिवारिक और सियासी विवाद:
- यह घटनाक्रम सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि पारिवारिक मतभेदों और तेज प्रताप के निजी जीवन से भी जुड़ा है।
- भाजपा और अन्य विपक्षी दल इस निर्णय को सिर्फ एक “राजनीतिक नाटक” बता रहे हैं।
निष्कर्ष:
तेज प्रताप यादव का पार्टी से निष्कासन उन्हें न तो पूरी तरह से राजनीतिक रूप से स्वतंत्र करता है और न ही उन्हें विपक्ष में जाने की छूट देता है। वे फिलहाल न तो किसी अन्य दल से जुड़ सकते हैं और न ही सदन में आरजेडी के विरोध में खुलकर जा सकते हैं। यह स्थिति उनके लिए राजनीतिक रूप से बेहद सीमित और असहज होगी, खासकर जब चुनावी मौसम नज़दीक हो।