Tuesday, June 24, 2025
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बांग्लादेश ने लिया बड़ा यू-टर्न: भारत के साथ 180 करोड़ का रक्षा सौदा रद, ड्रैगन से बढ़ीं नजदीकियां

बांग्लादेश ने भारत की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स को दिया गया 21 मिलियन डॉलर का रक्षा ऑर्डर अचानक रद्द कर दिया है। यह कदम भारत-बांग्लादेश संबंधों में आई तल्खी और चीन के साथ ढाका की बढ़ती नजदीकी का संकेत माना जा रहा है।

भारत और बांग्लादेश के बीच रक्षा सहयोग को मजबूती देने के लिए 2024 में हुई एक अहम डील अब रद्द कर दी गई है। कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) को 21 मिलियन डॉलर (करीब 180 करोड़ रुपये) का ठेका दिया गया था, जिसके तहत बांग्लादेश के लिए 800 टन की एक अत्याधुनिक महासागरीय टग बोट बनाई जानी थी।

यह अनुबंध बांग्लादेश की राजधानी ढाका में जुलाई 2024 में साइन किया गया था, जो भारत द्वारा बांग्लादेश को दी गई 500 मिलियन डॉलर की रक्षा ऋण-रेखा के तहत पहला बड़ा प्रोजेक्ट था। इस टग बोट की लंबाई 61 मीटर होनी थी, और यह पूरी लोडिंग के साथ 13 नॉट्स (लगभग 24 किमी/घंटा) की गति से चलने में सक्षम होती।

इस डील के दौरान भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने बांग्लादेश का दौरा भी किया था, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाना था।

राजनीतिक बदलाव के बाद बिगड़े समीकरण
हालात तब बदले जब अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता से विदाई हुई। नई सरकार के आने के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंधों में ठहराव देखने को मिला। बांग्लादेश की नई सरकार की चीन के साथ बढ़ती नजदीकी ने भारत की रणनीतिक चिंताओं को और गहरा कर दिया है।

सुरक्षा और व्यापार पर असर
बांग्लादेश पहले ही चीन से डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां खरीद चुका है, और अब लालमोनिरहाट स्थित द्वितीय विश्व युद्धकालीन हवाई अड्डे पर चीन की संभावित सैन्य मौजूदगी भारत के लिए एक नई सुरक्षा चिंता बन गई है।

व्यापारिक मोर्चे पर भी तनाव बढ़ा है। अप्रैल 2025 में बांग्लादेश ने भारत से आयातित धागा, चावल, मछली, तंबाकू और पाउडर दूध पर प्रतिबंध लगाए, जिसके जवाब में भारत ने भी बांग्लादेश से लगभग 6,600 करोड़ रुपये के आयात पर रोक लगा दी, जिसमें रेडीमेड कपड़े, पेय पदार्थ और प्रोसेस्ड फूड शामिल थे।

भविष्य की राह
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि टग बोट डील का रद्द होना सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि भारत के लिए रणनीतिक झटका भी है। दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, यह घटनाक्रम भारत के लिए चेतावनी की घंटी हो सकता है।

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