Yashwant Verma: दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश कांड मामले में जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार आगामी मॉनसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय जांच समिति द्वारा 14 मार्च को उनके सरकारी आवास में आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के आरोपों को गंभीर मानते हुए उठाया जा रहा है।
भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस रिपोर्ट की एक प्रति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी थी, जिसमें न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश की गई थी।
जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। उन्हें 20 मार्च को ट्रांसफर करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा गया था, लेकिन उन्होंने 5 अप्रैल को शपथ तो ली, लेकिन अब तक उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों और राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त करेगी। इसके बाद दोनों सदनों में कम से कम दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित होना चाहिए।
कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अभी तक उन्हें सरकार की ओर से कोई औपचारिक संपर्क नहीं किया गया है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सभापति जगदीप धनखड़ और अध्यक्ष ओम बिरला विपक्षी नेताओं से संपर्क कर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश करेंगे।