Saturday, July 27, 2024
HomeLITERATURELucknow Pustak Mela: समापन की ओर बढ़ा रवीन्द्रालय चारबाग का पुस्तक मेला

Lucknow Pustak Mela: समापन की ओर बढ़ा रवीन्द्रालय चारबाग का पुस्तक मेला

‘महिलाएं पालक हैं पर शोषण में भी कम नहीं’
नौ को ब्रजलाल की किताबों का विमोचन और कला संरक्षण संवाद

Lucknow Pustak Mela: रवीन्द्रालय लान चारबाग में चल रहा लखनऊ पुस्तक मेला समापन की ओर बढ़ चला है। 10 मार्च को मेला अगले वर्ष तक के लिए विदा ले लेगा। मेले में आज महिला दिवस विशेष कार्यक्रम हुते तो विविधता भरी प्रतियोगिताओं की धमक रही। विमोचन के क्रम में कल राज्यसभा सांसद ब्रजलाल की किताबों का लोकार्पण तय है।
साहित्य कला संस्कृति को समर्पित लखनऊ पुस्तक मेले में लखनऊ के ऊपर लिखे साहित्य के संग लखनवी लेखकों की पुस्तकें भी भारी तादाद में हैं।

स्थानीय लेखकों के स्तर में रमेशचंद्र मिश्र, डा.अमिता दुबे, उमाशंकर लाल, डा.ओपी मिश्र, डा.फणिभूषण दास, पुरुषोत्तम मिश्र संकुल, इंदु सिंह, अशोक जैन, नसीम नकहत, निर्मला चंद्र सिंह, राज किशोर नमन, नवीन शुक्ल, सुधा शुक्ला, डा.रूबी शर्मा, मालबिका मुखर्जी, डा.लक्ष्मी रस्तोगी आदि अनेक स्थानीय रचनाकारों की राम अमृत, नमामि रामम, सीताराम जैसी विविध विषयों की पुस्तकें हैं।


मेले में आज सुखबीर सिंह को समर्पित वाश शैली की विशिष्ट प्रदर्शनी के संग कल से प्रारम्भ चित्रकला कार्यशाला में आज कुछ और प्रतिभागी जुड़े। यहां 10 मार्च तक चलने वाली इस कार्यशाला की प्रशिक्षक डा.स्तुति सिंघल ने जलरंगों की तकनीकी जानकारी दी। कल मेले में कला संरक्षण पर संवाद भी होगा।


मेले के साहित्यिक मंच पर महिला दिवस पर विशेष कार्यक्रम के तहत गाजीपुर की साहित्यिक पत्रिका साहित्य सरोज ओर से कहानी पाठ व संगोष्ठी का आयोजन हुआ। ज्योति किरन रतन ने गोपालराम गहमरी की कहानी का पाठ किया और संगोष्ठी में महिलाओं को घर और बाहर के कामकाज में सामन्जस्य बनाने का संदेश दिया।


एशिया के सबसे बड़े गहमर गांव गाजीपुर से आये संयोजक अखण्ड प्रताप सिंह गहमरी ने कहा कि महिलाओं के शोषण में महिलाएं भी कम नहीं। ओमजी मिश्र ने महिलाओं पर काव्य पाठ करते हुए कहा कि महिला जन जन की पालक है। घरनी बिन घर सूना ही लगता है। अयोध्या से आये पुरोहित पुण्डरीक ने कहा लक्ष्य साधने पर जोर देकर कहा कि सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं को जो शिक्षा की राह दिखाई उसने उन्हें राष्ट्रपति पद तक पहुंचा दिया।

बिहार से आए जनार्दन ने भोजपुरी भाषा के माध्यम से कहा कि महिलाएं किसी भी देश राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी होती हैं। मेला संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने वक्ताओं को सम्मानित किया। इसके साथ ही मंच पर आज सुर सागर की ओर से गायन, माडलिंग आदि की प्रतियोगिताओं का क्रम रात तक चलता रहा। फाइनल राउंड में सुरभि सिंह, डा.नीतू सिंह आदि निर्णायकों ने प्रतिभागियों को परख कर विजेताओं को पुरस्कृत किया।


निःशुल्क प्रवेश वाले मेले में हर किताब पर कम से कम 10 प्रतिशत की छूट मिल रही है। यह मेला फोर्स वन बुक्स के साथ विश्वम फाउण्डेशन, ओरिजिन्स, ट्रेड मित्र और ज्वाइन हैण्ड्स फाउण्डेशन आदि के सहयोग से हो रहा है।

आज के कार्यक्रम 09 मार्च
पूर्वाह्न 11ः00 बजे नवसृजन का काव्य समारोह
मध्याह्न 2ः00 बजे अभिव्यक्ति द्वारा डा.मीरा दीक्षित की किताब बुनावटें का विमोचन
अपराह्न 2ः00 बजे वाश शैली की चित्रकला कार्यशाला (मंच से अलग)
शाम 4:10 बजे सांसद ब्रजलाल की किताबों का विमोचन
शाम 6:00 बजे कला और संरंक्षण पर संवाद

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments