Saturday, July 27, 2024
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Lucknow Pustak Mela: 10 March को समाप्त होगा रवीन्द्रालय चारबाग का पुस्तक मेला

– जो देखा, समझा, कार्रवाई हुई वैसा ही लिखा : ब्रजलाल
– ऐसा सत्य लिखने का साहस कम लोग ही करते है : सुरेश खन्ना
– होगा चीख का विमोचन और सम्मानित होंगे स्टालधारक व सहयोगी

Lucknow Pustak Mela: अंतिम दौर में पहुंच चुके रवीन्द्रालय लान चारबाग में चल रहे लखनऊ पुस्तक मेले में आज पुस्तक प्रेमियों की भारी भीड़ रही। कल रात ये मेला समाप्त हो जायेगा।

आज के आयोजनों में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा विमोचित सांसद ब्रजलाल की वास्तविक घटनाओं पर आधारित पुस्तकों की चर्चा रही। विमोचनों के क्रम में कल क्रान्ति मिश्रा के उपन्यास चीख पर वक्ता विचार रखेंगे और चयनित स्टालों को स्मृति चिह्न प्रदान किये जायेंगे।

साहित्य कला संस्कृति को समर्पित लखनऊ पुस्तक मेले में आने वाले अधिकांश युवाओं की तलाश कुछ खास कुछ अलग की है तो बहुत से युवा से उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों से सम्बंधित मानस का हंस, कुरुक्षेत्र, मुझे चांद चाहिये जैसी औपन्यासिक मूल कृतियों के संग उनकी समीक्षा पुस्तकें, संविधान और आधुनिक इतिहास से सम्बंधित किताबें तलाश कर रहे हैं।

युवाओं की तलाश यहां कम्पटीशन क्रैक करने वाली और नये संदर्भों में हिंदी अंग्रेजी कथात्मक किताबों की भी तलाश है।
मेले में आज नवीन शुक्ला के संचालन में पूर्व डीजीपी व वर्तमान राज्यसभा सांसद बृजलाल की छह किताबों इण्डियन मुजाहिद्दीन,‌ सियासत का सबक, इटावा फाइल, डेढ़ बिस्वां जमीन, लखनऊ के रंग बाज और पुलिस की बारात का विमोचन वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने किया।

सुरेश खन्ना ने कहा की अभावों मे पलकर पढ़ने वाले ब्रजलाल से पुलिस और समाज को सीखना चाहिए। अनेक कीर्तिमान बनाते हुए ब्रजलाल ने ये भी सिखाया कि परेशानी आयें तो भी कर्तव्य से पीछे नहीं हटना चाहिए। ऐसा सत्य लिखने का साहस कम ही लोग करते हैं। सत्य घटनाओं और राजनीतिक उठापटक और प्रशासनिक फैसलों पर आधारित इन किताबों में प्रदेश के अतीत के हालात का सजीव चित्रण है।

बृजलाल ने के दंगों पर लिखी पहली पुस्तक टेररिज्म आफ गुजरात के जिक्र के साथ कहा कि पुलिस में रहने के कारण सभी पुस्तकें अपराध से जुड़ी है। जो देखा, समझा, कार्यवाही हुई वैसा ही लिखा। बांग्ला और गुजरात भाषा में अनुवाद बाकी है। टी पी हवेलियां ने कहा कि आभावों में भी वे हमेशा तत्परता से कार्य करते रहे।

नवसृजन के तत्वावधान में नरेन्द्र भूषण की अध्यक्षता, डा.योगेश के संचालन व कृपा शंकर श्रीवास्तव विश्वास, डा. सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी पथिक, आरएन तिवारी, डा.शिवमंगल सिंह मंगल, विजय त्रिपाठी, त्रिवेणी प्रसाद दुबे मनीष एवं चंद्रपाल सिंह चंद्र जैसे अतिथियों की उपस्थिति में रामप्रकाश शुक्ल प्रकाश, देवेश द्विवेदी देवेश, बेअदब लखनवी, मुकेश कुमार मिश्र, शशि नारायण त्रिपाठी, मनमोहन बाराकोटी, अजय दुबे, प्रमोद श्रीवास्तव, नवीन बैसवारी, सरस्वती प्रसाद रावत, मनु बौछार, प्रेम शंकर शास्त्री, कैलाश त्रिपाठी पुंज, रामराज भारती, डा.सुधा मिश्रा, प्रतिभा श्रीवास्तव, शिवानी निगम, जया शर्मा, ऋषि श्रीवास्तव, अर्श लखनवी सहित 51 रचनाकारों ने काव्यपाठ किया।

विदुषी लेखिका डा.मीरा दीक्षित के उपन्यास बुनावटें का लोकार्पण महेशचंद्र ‌द्विवेदी, डा.राकेश चन्द्रा, रत्ना कौल, निरुपमा मल्होत्रा, अर्चना प्रकाश, डा.रुचि श्रीवास्तव, इला शर्मा, अलका अस्थाना, नीलम सिंह, शिखा सक्सेना, पुष्पा सोनवानी, निर्मला सिंह चन्द्र, अश्विन चन्द्रा आदि की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।

अलका अस्थाना की वन्दना से प्रारम्भ कार्यक्रम में प्रो.उषा मालवीय ने कहा कि उपन्यास में मध्यवर्गीय जीवन में घटते बदलावों का मनोवैज्ञानिक और सूक्ष्म विश्लेषण पाठक को आकर्षित करता है। संचालक नीलम राकेश, नीरजा‌ द्विवेदी, सुधा सिंह, इला सिंह के विचारों के संग ही डा.सुधाकर अदीब ने शुभकामना संदेश दिया।

सुखबीर सिंह को समर्पित वाश शैली चित्र प्रदर्शनी और के चित्रकला कार्यशाला में आज प्रतिभागियों अमिता मिश्रा, अद्वैता सिंघल, भ्रूमेश जाय, मुन्द्रा भरत, बीशा रंग, नरेश कुमार व ईशा शर्मा इत्यादि का प्रशिक्षण और आगे बढ़ा। मेले के साथ ही कल डा.स्तुति सिंघल द्वारा दिया जा रहा यह चार दिवसीय प्रशिक्षण भी सम्पन्न हो जायेगा।

आज शाम मंच पर मेले में कला संरक्षण पर संवाद में केजी सुब्रमण्यन की जन्मशती वर्ष पर भूपेंद्र कुमार अस्थाना के संयोजन व संचालन में आयोजित कला और संरक्षण संवाद में इंटेक संरक्षण संस्थान के धर्मेंद्र मिश्रा, मूर्तिकार गिरीश पाण्डेय, कला चिंतक डा.नरेश कुमार, इतिहासविद रवि भट्ट, कलाकार आलोक कुशवाहा, अखिलेश निगम ने विचार व्यक्त किये।

वक्ता वरिष्ठ मूर्तिकार पांडेय राजीव नयन ने कहा कि प्रो.केजी सुब्रमणियन महत्वपूर्ण कलाकार और शिक्षविद् थे। लखनऊ स्थित रवींद्रालय में उनके द्वारा 60 साल पहले निर्मित कृति द किंग ऑफ द डार्क चैंबर विश्वविख्यात म्यूरल है आज उपेक्षित है। इस महत्वपूर्ण धरोहर को प्रशासनिक सहयोग से संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है, नहीं तो आने वाली पीढ़ियां इस महत्वपूर्ण धरोहर से वंचित हो जाएंगी। मैंने पूर्व में भी शासकीय स्तर से इसके संरक्षण का प्रयास किंतु सफल नहीं हो सका। आज उनके शताब्दी वर्ष में प्रशासन व सरकार से अपेक्षा है कि इस धरोहर को संरक्षित करने की प्राथमिकता से कार्यवाई करे।


निःशुल्क प्रवेश वाले मेले में हर किताब पर कम से कम 10 प्रतिशत की छूट मिल रही है। यह मेला फोर्स वन बुक्स के साथ विश्वम फाउण्डेशन, ओरिजिन्स, ट्रेड मित्र और ज्वाइन हैण्ड्स फाउण्डेशन आदि के सहयोग से हो रहा है।

10 मार्च के कार्यक्रम

पूर्वाह्न 11ः00 बजे लक्ष्य साहित्यिक संस्था का काव्य समारोह
मध्याह्न 2ः00 बजे नमन प्रकाशन व साहित्य संसद की ओर से पुस्तक विमोचन
अपराह्न 2ः00 बजे वाश शैली की चित्रकला कार्यशाला (मंच से अलग)
शाम 3ः30 बजे क्रान्ति मिश्रा के उपन्यास चीख का विमोचन
शाम 4ः30 बजे पुस्तक मेला समिति का समापन समारोह
शाम 6ः30 बजे अपूर्वा का काव्य व सम्मान समारोह

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