Operation Sindoor: रक्षा मंत्रालय ने रविवार को बताया कि हालिया ऑपरेशन सिंदूर भारत की सुरक्षा रणनीति, खुफिया क्षमताओं और तीनों सेनाओं (थल, जल और वायु) के तालमेल का उत्कृष्ट उदाहरण था। यह अभियान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया, जिसमें पाकिस्तान प्रायोजित गतिविधियों को निर्णायक ढंग से विफल किया गया।
सुनियोजित और खुफिया आधारित जवाबी कार्रवाई
मंत्रालय के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर एक सूक्ष्म रूप से नियोजित और खुफिया सूचना पर आधारित सैन्य अभियान था। इसका उद्देश्य हमले का प्रभावी जवाब देना था, साथ ही न्यूनतम क्षति सुनिश्चित करना था। इस कार्रवाई के दौरान सटीकता, संयम और रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया गया।
तीनों सेनाओं का समन्वय और आईसीसीएस की भूमिका
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस ऑपरेशन में एकीकृत कमान और नियंत्रण रणनीति (ICCS) ने अहम भूमिका निभाई। इसके चलते खतरे की वास्तविक समय में पहचान, मूल्यांकन और जवाबी कार्रवाई संभव हुई। सेना, वायुसेना और नौसेना के बीच बेहतरीन तालमेल के साथ सरकार और अन्य एजेंसियों का भी पूरा सहयोग रहा।
भारतीय वायुसेना की निर्णायक कार्रवाई
भारतीय वायुसेना ने Operation Sindoor के ऑपरेशन में आतंकवादी ढांचों पर सटीक हवाई हमले किए। प्रमुख लक्ष्यों में पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस और रहीमयार खान एयरबेस शामिल रहे। साथ ही, भारतीय वायु क्षेत्र की सुरक्षा के लिए आकाश मिसाइल सिस्टम, पिकोरा और OSA-AK जैसे प्लेटफॉर्म से बहुस्तरीय वायु रक्षा तंत्र सक्रिय किया गया। वायुसेना की इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) ने हवाई खतरों के जवाब में त्वरित समन्वय को संभव बनाया।
भारतीय थल सेना और वायु रक्षा इकाइयों की तत्परता
भारतीय सेना ने भी ऑपरेशन में प्रभावी भूमिका निभाई। सेना की वायु रक्षा इकाइयों ने वायुसेना के साथ समन्वय में कार्य किया और पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन और यूएवी हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम किया। सेना ने कई प्रणालियों का प्रयोग किया, जिनमें MANPADS, LLAD गन, और लंबी दूरी की SAM प्रणाली शामिल थीं।
भारतीय नौसेना की समुद्री रणनीति
भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के ऑपरेशन के समुद्री मोर्चे पर प्रभुत्व स्थापित किया। मिग-29K लड़ाकू विमान और AEW हेलीकॉप्टरों से लैस कैरियर बैटल ग्रुप (CBG) को तैनात किया गया, जिसने समुद्री क्षेत्र में लगातार निगरानी और वास्तविक समय की जानकारी सुनिश्चित की।
सरकारी समन्वय की 8 अहम पहलें
सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की सफलता का श्रेय आठ प्रमुख संरचनात्मक पहलों को दिया, जिनमें शामिल हैं:
- चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति
- इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड (ITC) का गठन
- सैन्य मामलों के विभाग (DMA) की स्थापना
- इंटर-सर्विस ऑर्गेनाइजेशन एक्ट, 2023 का कार्यान्वयन
- संयुक्त लॉजिस्टिक्स नोड्स (JLN) की स्थापना
- संयुक्त प्रशिक्षण और अभ्यास
- नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर और तकनीकी एकीकरण
- वर्ष 2025 को ‘डिफेंस रिफॉर्म ईयर’ के रूप में मनाना
Operation Sindoor: खुफिया सफलता और मिशन की नैतिकता
मल्टी-एजेंसी इंटेलिजेंस सहयोग से नौ आतंकी ठिकानों की पहचान की गई, जिन्हें सफलतापूर्वक निशाना बनाया गया। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ऑपरेशन की योजना में नैतिक मूल्यों और नागरिक हानि से बचने को प्राथमिकता दी गई।
ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) न सिर्फ एक सैन्य सफलता थी, बल्कि यह भारत की सुरक्षा व्यवस्था, रणनीतिक एकता और आधुनिक सैन्य तैयारी का प्रमाण भी है। भूमि, वायु और समुद्र—तीनों मोर्चों पर समन्वित तरीके से की गई यह कार्रवाई भारत के आत्मविश्वास और संकल्प का स्पष्ट संकेत है।
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव दशकों से चला आ रहा है, जिसकी जड़ें विभाजन, कश्मीर विवाद और सीमा पार आतंकवाद में निहित हैं। दोनों देशों के बीच कई युद्ध और सीमित सैन्य संघर्ष हो चुके हैं, जिनमें कारगिल युद्ध और उरी तथा पुलवामा हमलों के बाद की कार्रवाइयाँ शामिल हैं। हाल के वर्षों में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गतिविधियों और ड्रोन के ज़रिये हथियारों की तस्करी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। भारत ने इन चुनौतियों का जवाब कूटनीतिक, सैन्य और खुफिया स्तर पर दिया है। हालाँकि, दोनों देशों के बीच संबंधों में कभी-कभार बातचीत की संभावनाएँ भी नजर आती हैं, लेकिन वास्तविक और स्थायी शांति अब भी एक दूर की उम्मीद बनी हुई है। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के जरिए पाकिस्तान को सबक मिला.
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