Saturday, October 12, 2024
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Gyanvapai Yogi Adityanath: सीएम योगी बोले- ज्ञानवापी को मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा

Yogi ने पूछा- त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा

मुस्लिम समाज आगे आकर कहे- ये ऐतिहासिक गलती

देश संविधान से चलेगा, मत और मजहब से नहीं

विपक्ष पर वार, कहा- बंगाल बनाना चाहते हैं क्या

Gyanvapai Yogi Adityanath: यूपी CM योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा- अगर ज्ञानवापी को हम मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा। भगवान ने जिसको दृष्टि दी है, वो देखे न। त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है? हमने तो नहीं रखे हैं न। ज्योर्तिलिंग हैं… देव प्रतिमाएं हैं। पूरी दीवारें चिल्ला-चिल्लाकर क्या कह रही हैं।

ये बात योगी ने न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में कहीं। उन्होंने कहा- मुस्लिम समाज को ऐतिहासिक गलती दुरुस्त करनी चाहिए। मुझे लगता है कि ये प्रस्ताव मुस्लिम समाज की तरफ से आना चाहिए कि साहब… ऐतिहासिक गलती हुई है। उस गलती के लिए हम चाहते हैं कि समाधान हो।

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे पर रोक लगा रखी है। अब इस मामले में कोर्ट 3 अगस्त को फैसला सुनाएगा।

ज्ञानवापी मामले में हाईकोर्ट ने अभी ASI सर्वे पर रोक लगा दी है। दोनों पक्ष यानी हिंदू और मुस्लिम को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

योगी आदित्य नाथ के इंटरव्यू की 4 बातें

देश संविधान से चलेगा, मत और मजहब से नहीं: देखिए मैं ईश्वर का भक्त हूं, लेकिन किसी पाखंड में विश्वास नहीं करता। आपका मत, आपका मजहब, अपने तरीके से होगा, अपने घर में होगा। अपनी मस्जिद, अपने इबादतगाह तक होगा। सड़क पर प्रदर्शन करने के लिए नहीं और इसको आप जो हैं किसी भी अन्य तरीके से दूसरे पर थोप नहीं सकते। नेशन फर्स्ट (देश पहले है)। अगर देश में किसी को रहना है तो राष्ट्र को सर्वोपरि मानना है, अपने मत और मजहब को नहीं।

I.N.D.I.A गठबंधन को इंडिया नहीं बोलना चाहिए: I.N.D.I.A गठबंधन को इंडिया नहीं बोलना चाहिए। यह तो डॉट कॉम ग्रुप है। चोला बदलने से उन्हें पिछले कर्मों से मुक्ति नहीं मिल जाएगी।

देश को बंगाल बनाना चाहते हैं क्या: मैं पिछले सवा 6 साल से मुख्यमंत्री हूं। 2017 से उत्तर प्रदेश में कोई दंगा तो नहीं हुआ। बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग देखें कि चुनाव कैसे होते हैं। पंचायत चुनाव, नगर निकाय चुनाव, विधानसभा चुनाव हुए, वेस्ट बंगाल में भी चुनाव हुए, वहां क्या हाल हुए। देखा तो है ही न। क्या वेस्ट बंगाल बनाना चाहते हैं देश को।

विपक्ष बंगाल पर कुछ नहीं बोलता: कुछ लोग सत्ता में आकर जबरन पूरी व्यवस्था को कैद कर देना चाहते हैं। जो हमें वेस्ट बंगाल में देखने को मिला। कैसे वहां विरोधी दलों के लोगों को मारा गया। ये चीजें आंखों को खोलने वाली हैं। उस पर कोई बोलता नहीं। 1990 में जो कुछ कश्मीर में हुआ, उस पर सब मौन हैं। आखिर ये दोहरा दृष्टिकोण क्यों? सीएम योगी ने पश्चिम बंगाल चुनाव और विपक्ष के गठबंधन इंडिया पर भी निशाना साधा।

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “मुख्यमंत्री आवास की दीवारें चिल्ला-चिल्ला के कह रही हैं हमें गंगा जल से क्यों धुलवाया था?”

ऑल इंडिया मजिलस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “जिस मामले पर हाई कोर्ट का फैसला आना है। यूपी सीएम ने उस पर बोलकर कानून के दायरे को लांघा है। वो कानून की इज्जत करें और ऐसे मामलों पर विवादित बातें नहीं करें। ज्ञानवापी में 400 साल से मस्जिद है। वहां नमाज हो रही है। लेकिन बुलडोजर पॉलिटिक्स चलती है। उनका बस चले वो बुलडोजर चला देंगे।”

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा- ज्ञानवापी का मामला कोर्ट में है। मैं मस्जिद में मंदिर खोजने वालों को सावधान कर रहा हूं। धर्म के ठेकेदारों ने दलित, पिछड़ों को समय-समय पर अपमानित किया है। लगता है हिन्दू धर्म एक जाति विशेष के लिए बना है। ये दलित, पिछड़ों के लिए बना ही नहीं है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा- ज्ञानवापी एक ऐतिहासिक सच्चाई है। सीएम ने उसे स्वीकार करने की बात कही है। उस स्थान को देखकर जो दिखता है, जो राय है। उन्हीं विषयों पर कहा है। यह देश की आस्था से जुड़ा विषय है। मामला कोर्ट में है। कोर्ट ने सर्वे के लिए कहा है। बहुत सारे लोग सर्वे में व्यवधान डालेंगे। हमें मिलकर काम करना चाहिए।”

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने कहा- सीएम के बयान से तकलीफ हुई। सीएम को कानून सम्मत बात कहनी चाहिए। 1991 में जो कानून बना उसकी रक्षा करनी चाहिए। सीएम का बयान योगी या फिर पुजारी की तरह दिया गया है। यह बयान एक पक्ष के लिए दिया है। देश क्या वर्ग विशेष की इच्छाओं और धार्मिक आस्थाओं से चलेगा। उन्हें अपने बयान पर पुनर्विचार करना चाहिए।

रालोद के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा- जब चुनाव आते हैं तो बीजेपी इसी तरह की बात करने लगती है। चुनाव में जो वादे किए थे उन्हें तो पूरा नहीं कर पा रही है। इस तरह के बयान का कोई मतलब नहीं है। यह उनका चुनावी हथकंडा है।

कथावाचक देवकीनंदन ने सीएम योगी के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा,”चाहे काशी की ज्ञानवापी हो, मथुरा की श्रीकृष्णजन्मभूमि की शाही मस्जिद हो या आगरा की जामा मस्जिद, जहां भी आप तलाश करेंगे वहां सनातन के चिह्न मिल जाएंगे। मुख्यमंत्री ने सही बात कही है।”

यह फोटो 24 जुलाई की है। ज्ञानवापी में सर्वे के लिए ASI की टीम पहुंच गई थी। 2-3 घंटे तक सर्वे किया। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सर्वे रोक दिया गया था।

ज्ञानवापी के ASI सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है। कोर्ट 3 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाएगी। उसके बाद स्पष्ट होगा कि सर्वे होगा या नहीं?

दरअसल, वाराणसी की जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी में वजूस्थल को छोड़कर पूरे परिसर का ASI से सर्वे कराने का आदेश दिया था। 24 जुलाई को ASI की टीम ने ज्ञानवापी का सर्वे शुरू कर दिया था। हालांकि इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। कोर्ट ने तत्काल सर्वे पर रोक लगाते हुए मुस्लिम पक्ष से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने को कहा था।

यह मस्जिद के पिछले हिस्से की दीवार है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां सनातन धर्म से जुड़े निशान हैं।

दरअसल, स्थानीय कोर्ट के आदेश पर मई 2022 मे ज्ञानवापी का कमीशन सर्वे हुआ था। अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। इसकी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल होने के साथ ही लीक हुई थी।

रिपोर्ट की बड़ी बातें…

मस्जिद के भीतर हाथी के सूंड़, त्रिशूल, पान, घंटियां दिखीं। मुख्य गुंबद के नीचे दक्षिणी खंभे पर स्वास्तिक का चिह्न मिला।

मस्जिद के प्रथम गेट के पास तीन डमरू के चिह्न मिले। उत्तर-पश्चिम दिशा में 15*15 फीट का एक तहखाना दिखा, जिसके ऊपर मलबा पड़ा था, वहां पड़े पत्थरों पर मंदिर जैसी कलाकृतियां।

3 फीट गहरा कुंड मिला। कुंड के चौतरफा 30 टोटियां लगी थीं। कुंड के बीच में लगभग 6 फीट गहरा कुआं दिखा। कुएं के बीचो-बीच गोल पत्थरनुमा आकृति दिखी।

बाहर विराजमान नंदी और अंदर मिले कुंड (जिसके बीचो-बीच एक पक्ष द्वारा शिवलिंग स्थापित बताया गया) के बीच की दूरी 83 फीट 3 इंच है।

कुंड के बीचो-बीच स्थित पत्थर की गोलाकार आकृति (जिसे एक पक्ष द्वारा शिवलिंग कहा गया) में सींक डालने पर 63 सेमी गहराई मिली। पत्थर की गोलाकार आकृति के बेस का व्यास 4 फीट था।

खंभे में हिंदी भाषा में 7 लाइनों में खुदा हुआ है। चार दरवाजे के स्थान को नई ईंटों से बंद किया गया है। बेसमेंट की दीवार पर सनातन संस्कृति के चिह्न हैं।

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी द्वारा बताया गया था कि परिसर में कोयले की दुकान भी चलती थी, लेकिन उसका कहीं प्रमाण नहीं मिला।

चौथे तहखाने की चाबी न मिलने पर कटर मंगवा कर उसका ताला काटा गया था। उसके आगे जाने पर मलबे से भरा छोटा तहखाना मिला, जहां जा पाना संभव नहीं था।

उत्तर प्रदेश सभा चुनाव के लिए मुद्दे तो कई हैं, लेकिन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा इस समय सिर्फ ज्ञानवापी परिसर का है। मामला न्यायालय में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ज्ञानवापी को लेकर दिए गए बयान पर सियासी घमासान छिड़ गया है। 

ज्ञानवापी मस्जिद का ASI सर्वे होगा, वजूस्थल छोड़कर बाकी कैम्पस की जांच का आदेश; वाराणसी कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज

ज्ञान‌‌‌वापी केस में ASI सर्वे की इजाजत मिल गई है। वाराणसी कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा कि वजु स्थल को छोड़कर बाकी पूरे कैंपस का बिना नुकसान पहुंचाए साइंटिफिक सर्वे किया जाए। जिला जज ने ASI डायरेक्टर को 4 अगस्त को कोर्ट में पेश होने को कहा है। उन्हें कोर्ट को बताना होगा कि वो ये सर्वे कैसे करेंगे। 

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