Wednesday, May 14, 2025
HomeINDIAShankaracharya on Mahakumbh Snan: महाकुंभ प्रबंधन पर शंकराचार्य का हमला: 144 साल...

Shankaracharya on Mahakumbh Snan: महाकुंभ प्रबंधन पर शंकराचार्य का हमला: 144 साल की बात झूठ, मलजल में लोग लगा रहे डुबकी, ये कुप्रबंधन नहीं तो क्या?

Shankaracharya on Mahakumbh Snan: महाकुंभ में प्रबंधन और व्यवस्था को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर हमला बोला है। शंकराचार्य ने कहा कि 144 साल की बात झूठी है, और यह सिर्फ प्रचार के लिए किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार के पास कोई व्यवस्था नहीं थी—न तो खाने के लिए भोजन था और न बैठने के लिए जगह। उन्होंने यह भी कहा कि 300 किलोमीटर तक जाम लगा रहा और लोगों को 25 से 30 किलोमीटर तक पैदल चलने के लिए मजबूर किया गया। यह सब कुप्रबंधन नहीं तो और क्या हो सकता है?

शंकराचार्य ने यह भी कहा कि कुंभ का आयोजन अचानक नहीं हुआ था, बल्कि इसके बारे में पहले से जानकारी थी। छह साल और 12 साल पहले से यह सब तय था, फिर भी कोई तैयारी नहीं की गई। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लोग अपनी भाषा बोलते हैं, लेकिन एक सनातनी होने के नाते और कुंभ में जाकर, वहां की वास्तविकता को जानने के बाद जो कुछ भी उन्होंने देखा, उसे सामने लाना जरूरी था।

उन्होंने कहा कि वहां स्नान के लिए जो जल आ रहा है, उसमें मलजल मिला हुआ है, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से स्नान के योग्य नहीं माना जाता। बावजूद इसके, लोगों को उस दूषित जल में स्नान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। शंकराचार्य ने यह भी बताया कि सरकार को कुछ दिनों के लिए नालों का पानी रोकना चाहिए था, या उसे डायवर्ट करना चाहिए था, ताकि लोगों को स्नान के लिए शुद्ध जल मिल पाता। यह न करना कुप्रबंधन का ही संकेत है।

भगदड़ में हुई मौतों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि इतने सारे लोग मारे गए, और पहले से यह सब जानकर कोई योजना बनाई जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि सच्चाई सभी के सामने है, और सरकार को योजना बनानी चाहिए थी। एक योजना असफल होती, तो दूसरी योजना बनाई जाती, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ।

शंकराचार्य ने यह भी कहा कि जितने लोगों की व्यवस्था की जा सकती थी, उतने ही लोगों को बुलाना चाहिए था और उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए थी। मुख्यमंत्री को यह कहना चाहिए था कि हमारे पास इतनी ही जगह और पार्किंग है, और उतने ही लोग आएं। लेकिन अंधाधुंध लोगों को बुलाया गया, पुल बनाए गए और फिर उन्हें बंद कर दिया गया। इसके बाद कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं था। क्राउड मैनेजमेंट के सिद्धांत का पालन भी नहीं किया गया।

शंकराचार्य ने कहा कि सरकार को एक बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए थी, और जब ऐसा नहीं हुआ, तो जो लोग मरे, उनकी मौत को छिपाने का काम किया गया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest News

Recent Comments