Sunday, May 19, 2024
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Loksabha Election 2024: तीन चरणों में उम्मीद से कम हुआ लोकसभा चुनाव में मतदान

Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के तीन फेज के लिए वोटिंग हो चुकी है। मंगलवार को 93 लोकसभा सीटों के लिए तीसरे चरण में 64.5% वोटिंग हुई। यह पोलिंग प्रतिशत 2019 के लोकसभा चुनाव में हुए 66% वोटिंग से कुछ कम है। पहले दो दौर की तरह, तीसरे दौर में भी 2019 की तुलना में कम मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया, हालांकि ये अंतर मामूली है।

बता दें कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 66.14 प्रतिशत और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान हुआ था। इतना ही नहीं तीनों चरणों में यूपी और बिहार में मतदान प्रतिशत सबसे कम रहा। खास बात है कि चुनाव आयोग की तरफ से किए गए कई प्रयासों के बावजूद कम वोटिंग प्रतिशत चिंता का विषय है।

वहीं, तीसरे चरण में छत्तीसगढ़, कर्नाटक और गोवा में मतदान प्रतिशत में वृद्धि देखी गई। अब सवाल उठता है कि कम वोटिंग प्रतिशत के सत्ताधारी बीजेपी नीत एनडीए और कांग्रेस के लिए क्या मायने हैं।

कई चुनाव विश्लेषक कम वोटिंग प्रतिशत को बीजेपी के लिए झटका बता रहे हैं। हालांकि, अभी चार चरण की वोटिंग बची हुई है। अभी भी घटनाओं और आश्चर्यों की गुंजाइश है जो चुनाव का रुख बदल सकते हैं। इलेक्शन एक्सपर्ट्स का कहना है कि संभावना का संतुलन बीजेपी के पक्ष में है, बावज़ूद उतनी मज़बूती नहीं होगी। जानते हैं कि आखिर कम वोटिंग प्रतिशत का किस पर क्या और कैसे असर पड़ सकता है।

गौर करें तो लोकसभा का चुनाव 7 चरण में हो रहा है, जिसमें से तीन चरण के चुनाव हो चुके हैं। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अब तक कम मतदान ने नरेंद्र मोदी के कैंपेन मैनजरों को परेशानी में डाल रखा है।

जान लें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में, बीजेपी ने 303 सीटें जीतीं। वहीं, एनडीए के सहयोगी दलों ने 50 सीटें जीतीं। इस साल का चुनाव शुरू होने से पहले इसका बीजेपी का नारा था “अब की बार, 400 पार।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी नेताओं के साथ ही राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सात चरण के चुनाव के तीन शुरुआती चरणों में कम वोटिंग प्रतिशत ने बीजेपी के लिए भारी बहुमत की उम्मीदें कम कर दी हैं। हालांकि इन लोगों का कहना है कि अब भी बीजेपी का बहुमत बरकरार रहने की संभावना है।

हरियाणा में बीजेपी की प्रचार समिति के सदस्यों में से एक संजय शर्मा ने कहा कि मतदान प्रतिशत में गिरावट मुख्य रूप से पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच उदासीनता के कारण है। उन्होंने कहा कि कुछ उम्मीदवार सत्ता विरोधी लहर से प्रभावित हो रहे थे। उन्होंने कहा कि पार्टी को राज्य में ‘कड़ी लड़ाई’ का सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी ने हरियाणा में 2019 में सभी दस सीटें जीतीं थी।

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