Saturday, July 27, 2024
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White Paper: संसद में श्वेतपत्र, सरकार बोली- यूपीए की आर्थिक नीतियां औसत दर्जे की थीं

White Paper: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से लोकसभा में पेश किए गए श्वेतपत्र में कहा गया कि यूपीए सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में विफल रही। वहीं यूपीए सरकार ने ऐसी बाधाएं पैदा कीं जिससे अर्थव्यवस्था थम गई।

White Paper: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लोकसभा में 2014 के पहले की भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ा एक श्वेतपत्र पेश किया। इस श्वेतपत्र में यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताया गया है। यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में वर्तमान केंद्र सरकार की ओर से जारी श्वेत पत्र में बातया गया है कि तत्कालीन सरकार आर्थिक क्रियाकलावों को सुचारु रूप से चलाने में विफल रही। उसकी जगह पर सरकार की ओर से लिए गए निर्णय देश को और पीछे की ओर ले गए। सरकार ने कहा कि यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियां जब वे सत्ता में आए औसत दर्जे की थीं, जैसे-जैसे दशक बीतता गया वे और खराब होती गईं।

श्वेत पत्र के अनुसार यूपीए सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में बुरी तरह विफल रही। इसके बजाय यूपीए सरकार ने ऐसी बाधाएं पैदा कीं जिससे अर्थव्यवस्था रुक गई। उस सरकार ने वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सुधारों के विलंबित प्रभावों और अनुकूल वैश्विक परिस्थितियों का लाभ उठाया और दीर्घकालिक आर्थिक परिणामों की अधिक चिंता किए बिना संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्यों के लिए परिणामी रूप से तेज आर्थिक विकास का शोषण करना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि बुरे ऋणों का पहाड़ खड़ा हो गया। उच्च राजकोषीय घाटा, उच्च चालू खाता घाटा और पांच वर्षों के लिए दो अंकों की मुद्रास्फीति की स्थिति बनी। जिसने कई भारतीयों की जेब पर असर डाला और देश “फ्रैजाइल फाइव” (पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं) के क्लब में शामिल हो गया।

White Paper: सरकार ने श्वेत पत्र में बताया कि यूपीए काल के शासक न केवल अर्थव्यवस्था में गतिशीलता लाने में विफल रहे, बल्कि उन्होंनेअर्थव्यवस्था को इस तरह लूटा कि हमारे उद्योगपतियों ने रिकॉर्ड पर कहा कि वे भारत के बजाय विदेश में निवेश करना पसंद करेंगे। निवेशकों को भगाना आसान है लेकिन उन्हें वापस जीतना कठिन है। यूपीए सरकार ने यह भी प्रदर्शित किया कि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की तुलना में उसे नुकसान पहुंचाना आसान है। सरकार ने श्वेत पत्र में कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार को एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी और उन्होंने 10 साल बाद हमें एक कमज़ोर अर्थव्यवस्था दी। अब हमने इसकी जीवंतता बहाल कर दी है।

श्वेतपत्र के अनुसार- यूपीए के 10 साल vs एनडीए के 10 वर्ष

जब 2014 में एनडीए सरकार ने सत्ता संभाली, तो अर्थव्यवस्था ना केवल खराब स्थिति में थी, बल्कि संकट में थी। हमें एक दशक से कुप्रबंधित अर्थव्यवस्था को ठीक करने और इसके बुनियादी सिद्धांतों को सुदृढ़ रूप से बहाल करने की जटिल चुनौती का सामना करना पड़ा।

तब, हम ‘नाज़ुक पांच’ अर्थव्यवस्थाओं में से एक थे; अब, हम ‘शीर्ष पांच’ अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं, जो हर साल वैश्विक विकास में तीसरा सबसे बड़ा योगदान देते हैं।

तब दुनिया का भारत की आर्थिक क्षमता और गतिशीलता पर से भरोसा उठ गया था; अब, अपनी आर्थिक स्थिरता और विकास की संभावनाओं के साथ, हम दूसरों में आशा जगाते हैं।

यूपीए शासनकाल में हमारे यहां घोटालों से भरे 12 दिवसीय राष्ट्रमंडल खेल आयोजित हुए; अब, हमने 2023 में एक बहुत बड़े और साल भर चलने वाले G20 शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की, जिसमें भारत ने सामग्री, सर्वसम्मति और लॉजिस्टिक्स के मामले में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए, वैश्विक समस्याओं के स्वीकार्य समाधान प्रदान किए।

तब, हमारे पास 2जी घोटाला था; अब, हमारे पास सबसे कम दरों और 2023 में दुनिया के सबसे तेज़ 5G रोलआउट के साथ 4G के तहत आबादी का व्यापक कवरेज है।

तब, हमारे सामने कोलगेट घोटाला था; अब, हमने अर्थव्यवस्था और सार्वजनिक वित्त को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए पारदर्शी और उद्देश्यपूर्ण नीलामी के लिए सिस्टम बनाया है।

यूपीए काल में सरकार ने कुछ चुने हुए लोगों को सोना आयात लाइसेंस प्रदान किया; अब, हमने GIFT IFSC में आयात के लिए एक पारदर्शी तंत्र के साथ एक बुलियन एक्सचेंज स्थापित किया है।

तब, हमारी अर्थव्यवस्था ‘दोहरी बैलेंस शीट समस्या’ का सामना कर रही थी; अब, हमने अर्थव्यवस्था और कंपनियों के साथ-साथ बैंकिंग क्षेत्र को भी ‘दोहरे बैलेंस शीट से लाभ’ की ओर मोड़ दिया है, जिसमें निवेश और ऋण बढ़ाने और रोजगार पैदा करने की पर्याप्त क्षमता है।

तब, हमारे देश में महंगाई दर दोहरे अंक में थी; अब, मुद्रास्फीति को घटाकर 5 प्रतिशत के पास कर दिया गया है।
तब, हमारे सामने विदेशी मुद्रा संकट था; अब, हमारे पास 620 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा भंडार है।

तब, हमारे पास पॉलिसी पैरालिसिस थी, बुनियादी ढांचा प्राथमिकता नहीं थी; अब, अधिक निवेश और उत्पादकता की ओर ले जाने वाले ‘निवेश, विकास, रोजगार, उद्यमिता और बचत’ के पहिए हैं जो हमें तेजी से आगे ले जा रहे हैं।

तब, हमारे यहां विकास कार्यक्रमों की छिटपुट कवरेज थी; अब, हमारे यहां बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान करते हुए आम लोगों को सशक्त बनाया जा रहा है।

संक्षेप में, हमारी सरकार के दस वर्षों में हासिल की गई प्रगति ने यूपीए सरकार के पिछले दस वर्षों के आर्थिक कुप्रबंधन से हुई गड़बड़ियों को दूर कर दिया है। 2024 में, आत्मविश्वास और उद्देश्य ने 2014 के अविश्वास और नकारात्मकता की जगह ले ली है।

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