Waqf Amendment Bill: 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए गए—वक्फ संशोधन विधेयक 2024 और मुसलमान वक्फ निरसन विधेयक 2024. इन विधेयकों का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करना और वक्फ बोर्डों के कार्य को सुव्यवस्थित करना है। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और संचालन वर्तमान में वक्फ अधिनियम, 1995 द्वारा शासित है, लेकिन इसके तहत कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जिनके समाधान के लिए यह संशोधन किया जा रहा है।
वक्फ संशोधन विधेयक में प्रस्तावित सुधार:
- वक्फ से ट्रस्टों का पृथक्करण: मुसलमानों द्वारा बनाए गए ट्रस्टों को वक्फ के अंतर्गत नहीं माना जाएगा, जिससे इन पर पूर्ण नियंत्रण रहेगा।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को स्वचालित करने के लिए एक केंद्रीय पोर्टल का निर्माण किया जाएगा, जिससे पंजीकरण, ऑडिट, और मुकदमेबाजी को पारदर्शी और दक्ष बनाया जाएगा।
- वक्फ समर्पण के लिए पात्रता: केवल वही मुसलमान अपनी संपत्ति वक्फ को समर्पित कर सकते हैं, जो कम से कम पांच वर्षों से प्रैक्टिसिंग मुस्लिम हों। यह प्रावधान 2013 के पहले की स्थिति को बहाल करता है।
- महिलाओं के अधिकारों में सुधार: पारिवारिक वक्फ में महिलाओं के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिससे विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों को उनके उचित हिस्से मिल सकेंगे।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: मुतवल्लियों (वक्फ संपत्ति के देखरेख करने वालों) को छह महीने के भीतर केंद्रीय पोर्टल पर संपत्ति का विवरण दर्ज करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
- न्यायाधिकरण को मजबूत करना: वक्फ न्यायाधिकरणों के लिए एक संरचित चयन प्रक्रिया और निश्चित कार्यकाल की व्यवस्था की जाएगी, जिससे विवादों का समाधान बेहतर तरीके से हो सके।
- सरकारी भूमि और वक्फ विवादों का समाधान: कलेक्टर के स्तर के अधिकारियों द्वारा सरकारी संपत्तियों की जांच की जाएगी, जिससे अनुचित दावों को रोका जा सके।
- गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व: समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों में दो गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल किए जाएंगे।
- वक्फ संपत्तियों के दावों पर नियंत्रण: धारा 40 को हटाया जाएगा, जिससे वक्फ बोर्डों को बिना आधार के संपत्तियों को वक्फ घोषित करने से रोका जाएगा।
वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विपक्ष का विरोध:
विपक्षी दल इस विधेयक के खिलाफ हैं, और उनका कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के अधिकारों को कमजोर करेगा और खासतौर पर मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन करेगा। विशेष रूप से, विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से मुसलमानों के वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण बढ़ाना चाहती है और इससे अन्य समुदायों के खिलाफ भेदभाव हो सकता है।
क्यों हो रहा है हंगामा?
इस विधेयक को लेकर भारी विवाद इसलिए हो रहा है क्योंकि इसके विभिन्न प्रावधानों को लेकर कई समाजों और समुदायों में चिंता जताई जा रही है। विशेष रूप से वक्फ बोर्डों के कार्यकुशलता, संपत्तियों के स्वामित्व विवाद, और महिलाओं के अधिकारों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इसके अलावा, कुछ लोग इस बात से चिंतित हैं कि इस विधेयक के जरिए सरकारी नियंत्रण और भी बढ़ सकता है, जिससे व्यक्तिगत अधिकारों में हस्तक्षेप हो सकता है।
यह विधेयक संसद में बहस का केंद्र बन चुका है, और इसके पारित होने पर विभिन्न समुदायों में इसके प्रभाव को लेकर व्यापक चर्चा जारी है।