Saturday, December 7, 2024
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Manipur Violence UN: मणिपुर हिंसा पर UN की रिपोर्ट को मोदी सरकार ने रद्दी की टोकरी में डाला

मानवाधिकार और वॉयलेंस पर UN एक्सपर्ट्स का रुख सख्त

केंद्र सरकार ने UN के बयान को भड़काऊ बताकर रिजेक्ट किया

मणिपुर हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की हुई मौत

Manipur Violence UN: केंद्र सरकार ने मणिपुर को लेकर यूनाइटेड नेशन्स (UN) के एक्सपर्ट्स के बयानों को खारिज किया है। भारत ने कहा कि मणिपुर में पूरी तरह से शांति है। UN एक्सपर्ट्स के बयान पूरी तरह से गलत और भड़काऊ हैं।

दरअसल, UN एक्सपर्ट्स ने मणिपुर को लेकर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था पूर्वोत्तर राज्य में हुए सेक्सुअल वॉयलेंस, घरों का तोड़ना, टॉर्चर, मानव अधिकार का उल्लंघन है। इस मामले में स्पेशल प्रोसिजर मैंडेट होल्डर्स (SPMH) ने एक न्यूज रिलीज की थी। इसका नाम, ‘इंडिया: UN एक्सपर्ट्स अलार्म्ड बाय कन्टिन्यूइंग एब्यूजेज इन मणिपुर’ था।

उधर, एडिटर्स गिल्ड ने मणिपुर सरकार की ओर से उनके मेंबर्स पर FIR दर्ज कराने के मामले पर रिएक्शन दिया है। संस्थान ने लेटर जारी कर कहा- राज्य सरकार की इस कार्रवाई से हम इससे परेशान हैं। राज्य के सीएम एन बीरेन सिंह के डराने वाले बयानों से हमें झटका लगा है। मुख्यमंत्री द्वारा पत्रकार संगठन को राष्ट्र विरोधी कहना परेशान करने वाला है। हम राज्य सरकार से FIR वापस लेने का आग्रह करते हैं।

एडिटर्स गिल्ड ने बताया कि हमें लोगों और सेना की ओर कई लोगों ने लिखा था कि मीडिया मामले में पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रही है। इसके बाद हमने तीन लोगों की टीम को ग्राउंड पर भेजा। 

टीम ने मणिपुर जाकर, पत्रकारों, समाजसेवकों, आदिवासियों, महिलाओं, सुरक्षाबलों और पीड़ितों से बात की। जिसके आधार पर 2 सितंबर को रिपोर्ट जारी की। हमने गलती से एक फोटो का कैप्शन गलत लिख दिया था, जिसके लिए माफी भी मांगी थी।

स्पेशल प्रोसिजर ब्रांच के मानवाधिकार हाई कमिश्नर ने सोमवार 4 सितंबर को एक नोट वर्बेल जारी किया। उन्होंने कहा- मणिपुर में स्थिति शांतिपूर्ण है। सरकार मणिपुर में शांति बनाने के लिए जरूरी कदम उठा रही है। सरकार मानव अधिकारों की रक्षा के लिए सभी काम कर रही है।

भारत के परमानेंट मिशन ने UN एक्सपर्ट्स के प्रेस रिलीज को रिजेक्ट किया और इसे गलत और भड़काऊ बताया है। मिशन ने जेनेवा में UN ऑफिस और दूसरे ऑर्गनाइजेशन्स को बताया कि एक्सपर्ट्स के बयान से पता चलता है कि उन्हें भारत सरकार की कोशिशों के बारे में जानकारी की कमी है।

UN ऑफिस ने भारत सरकार के लिए 29 अगस्त 2023 को मणिपुर हिंसा पर एक ज्वाइंट कम्यूनिकेशन जारी किया था। परमानेंट मिशन ने कहा- हमें दुख और आश्चर्य है कि ज्वाइंट कम्यूनिकेशन के बाद SPMH ने भारत सरकार को जवाब देने के लिए 60 दिन का समय भी नहीं दिया। उन्होंने इससे पहले ही यह प्रेस रिलीज जारी कर दी।

मिशन ने SPMH को सलाह दी कि भविष्य में फेक्ट्स के आधार पर रिपोर्ट दें और ऐसी बातें नहीं लिखें जिनका काउंसिल से लेना देना नहीं है। मिशन ने रिपोर्ट जारी करने से पहले सरकार के इनपुट देने तक इंतजार करने की सलाह भी दी। मिशन ने कहा- भारत एक लोकतांत्रिक देश है। हमारा कानून और सरकार लोगों की रक्षा के लिए है। भारत का कानून और सिक्योरिटी फोर्सेस किसी भी तरह का भेदभाव नहीं रखते।

प्रेस रिलिज में UN एक्सपर्ट्स ने कहा- मणिपुर हिंसा की फोटोस और रिपोर्ट्स बताती है कि हिंसा में औरतों और बच्चियों को निशाना बनाया गया। इनमें कुकी जाति की महिलाएं खास तौर पर निशाने पर रही हैं। मणिपुर हिंसा में गैंग रेप, महिलाओं को सड़कों पर नंगा मार्च, मारपीट, लोगों को जिंदा जलाने जैसे काम शामिल थे।

एक्सपर्ट्स ने कहा- मई 2023 के हिंदू मैतेई और ईसाई कुकी समुदायों की लड़ाई से पता चलता है कि मणिपुर में मानवता की कमी है।

मणिपुर हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 3-5 मई के बीच 59 लोग, 27 से 29 मई के बीच 28 लोग और 13 जून को 9 लोगों की हत्या हुई थी। 16 जुलाई से लेकर 27 जुलाई तक हिंसा नहीं हुई थी।

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नगा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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