Aadhar: भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष पर आरोप लगाया है कि वह विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गलत तरीके से प्रचार कर रहा है। भाजपा ने साफ किया कि शीर्ष अदालत ने कभी यह नहीं कहा कि केवल आधार कार्ड के आधार पर किसी को मतदाता के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है।
भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि आधार केवल पहचान और निवास का प्रमाण है, लेकिन यह नागरिकता साबित नहीं करता। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले में यह कहीं भी नहीं कहा गया कि आधार को एसआईआर के लिए वैध दस्तावेज माना जाए।
विपक्ष पर दुष्प्रचार का आरोप: मालवीय ने विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने जो नहीं कहा, उसे विपक्ष अपने फायदे के लिए जनता के सामने रख रहा है। यह अवमानना के बराबर है।”
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 16 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, किसी अदालत से मानसिक रूप से अयोग्य घोषित है या भ्रष्ट आचरण तथा अपराधों के कारण चुनाव के लिए अयोग्य है, तो उसका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा सकता।
“आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं”: भाजपा नेता ने कहा कि आधार अधिनियम में भी साफ लिखा है कि यह केवल पहचान और पते का सबूत है, न कि यह नागरिकता साबित करता है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग से आधार को स्वचालित मतदाता नामांकन का आधार बनाने की मांग करना कानून की मूल भावना के खिलाफ है।
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “सच्चाई यह है कि एसआईआर प्रक्रिया जारी रहेगी। केवल आधार कार्ड होने से कोई मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़ सकता। फर्जी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या नामों के साथ मृतकों के नाम भी हटाए जाएंगे। अगली सरकार केवल भारतीय नागरिक ही चुनेंगे, विदेशी नहीं।”
मसौदा सूची से हटे 65 लाख नाम: अमित मालवीय ने दावा किया कि बिहार में मसौदा मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाए गए हैं, जिनमें मृत, फर्जी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने इन हटाए गए नामों की सूची प्रकाशित करने का निर्देश दिया, ताकि प्रभावित लोग पुनः आवेदन कर सकें।
उन्होंने बताया कि अब तक केवल 84,305 आपत्तियां दर्ज हुई हैं, जो कुल हटाए गए नामों का महज 1.3 प्रतिशत है। मालवीय ने कहा, “यह त्रुटि की सीमा के निर्धारित मानक से काफी कम है। इसलिए वोट चोरी का आरोप पूरी तरह से मनगढ़ंत है।”