Shardiya Navratra: मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र का शुभारंभ होता है। इस बार नवरात्र सोमवार, 22 सितंबर से शुरू होकर बुधवार, 1 अक्तूबर तक चलेंगे। जानें चौघड़िया मुहूर्त, पूजा विधि, आरती और विशेष संयोग। शारदीय नवरात्रि 2025: 27 साल बाद 10 दिनों तक मां दुर्गा की आराधना, जानें शुभ योग, पूजन विधि और आरती.
हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस वर्ष नवरात्र सोमवार, 22 सितंबर से आरंभ होकर बुधवार, 1 अक्तूबर तक चलेंगे। 2 अक्तूबर को विजयदशमी (दशहरा) मनाई जाएगी।
27 साल बाद इस बार नवरात्रि 10 दिनों तक चलेंगी। इससे पहले वर्ष 1998 में शारदीय नवरात्र दस दिन के थे।
नवरात्रि के शुभ संयोग
इस बार नवरात्रि में कई महत्वपूर्ण योग बन रहे हैं। 24 सितंबर को महालक्ष्मी राजयोग बनेगा, जब चंद्रमा और मंगल तुला राशि में होंगे। इसके अलावा गजकेसरी योग, शुक्ल योग और रवि योग भी बन रहे हैं, जो पूजा, खरीदारी और शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।
कलश स्थापना की विधि
कलश में गंगाजल, अक्षत, हल्दी, कुमकुम और चांदी का सिक्का रखें। आम के पत्तों और नारियल से कलश को सजाएं और फल-फूल अर्पित करें।
- अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:29 से 12:38 तक
- शुभ चौघड़िया: सुबह 6:50 से 7:21 तक (अमृत चौघड़िया)
मां का आगमन और वाहन
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार मां दुर्गा हाथी की सवारी पर आएंगी, जो शांति, सुख, समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि का प्रतीक है।
विशेष संयोग
तृतीया तिथि 24 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर सुबह 7:10 बजे तक रहेगी। इस कारण तीसरा नवरात्र दो दिन मनाया जाएगा। यह संयोग अत्यंत शुभ माना जाता है और कृषि उत्पादन में वृद्धि का संकेत देता है।
पूजन विधि
- घर के ईशान कोण में लाल वस्त्र बिछी चौकी पर मां की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।
- कलश स्थापना करें और नौ दिनों तक धूप, दीप, पुष्प, फल और मिष्ठान से पूजा करें।
- दुर्गा सप्तशती या देवी मंत्र का पाठ करें।
नवरात्रि की तिथियां और देवी स्वरूप
- 22 सितंबर – प्रतिपदा : शैलपुत्री
- 23 सितंबर – द्वितीया : ब्रह्मचारिणी
- 24-25 सितंबर – तृतीया : चंद्रघंटा (दो दिन)
- 26 सितंबर – चतुर्थी : कूष्मांडा
- 27 सितंबर – पंचमी : स्कंदमाता
- 28 सितंबर – षष्ठी : कात्यायनी
- 29 सितंबर – सप्तमी : कालरात्रि
- 30 सितंबर – अष्टमी : महागौरी (कन्या पूजन)
- 1 अक्तूबर – नवमी : सिद्धिदात्री (कन्या पूजन)
शारदीय नवरात्र या शारदीय नवरात्रि: व्याकरण की दृष्टि से “शारदीय नवरात्र” सही है, न कि “शारदीय नवरात्रि”। वजह यह है कि संस्कृत में ‘नवरात्र’ शब्द द्विगु समास से बना है जिसका अर्थ है ‘नौ रात्रियाँ’ और इसमें समासविग्रह ‘नव रातों का समूह’ होता है। द्विगु समास में पुल्लिंग शब्द ही माना जाता है, इसलिए ‘नवरात्र’ ही शुद्ध और व्याकरण सम्मत शब्द है। ‘नवरात्रि’ कहना अशुद्ध है, क्योंकि ‘रात्रि’ शब्द की संज्ञा स्त्रीलिंग है, लेकिन यहाँ समूह के अर्थ में पुल्लिंग रूप ‘नवरात्र’ ही उचित है।