गोरखपुर/कपिलवस्तु। Sanatan Sanskrit Evam Paramparayen: “सफल और असफल लोग अपनी क्षमताओं में बहुत भिन्न नहीं होते हैं। वे अपनी क्षमता तक पहुँचने के लिए अपनी इच्छाओं में भिन्न होते हैं।” इसी विश्वास को जीवन का आधार मानने वाले डॉ. शरदेन्दु कुमार त्रिपाठी ने भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित अपने शोधग्रंथ ‘सनातन संस्कृति एवं परम्पराएँ’ को पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है। डॉ. शरदेन्दु प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं.
ग्रंथ के प्रकाशन पर अपने विचार साझा करते हुए डॉ. त्रिपाठी ने कहा, “यह मेरे लिए अत्यंत गर्व और प्रसन्नता का क्षण है। इस ग्रंथ का प्रकाशन होना केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परम्पराओं और मानवीय मूल्यों के प्रति मेरी कृतज्ञता का प्रतीक है। पृथ्वी पर मानव के अभ्युदय के साथ ही संस्कृति के चिन्ह प्रकट होने लगे थे, और यह क्षेत्र अत्यंत व्यापक है, जिसमें मानवीयता, भाषा, साहित्य और विज्ञान सभी सम्मिलित हैं। इसी महत्ता को ध्यान में रखते हुए इसका नाम ‘सनातन संस्कृति एवं परम्पराएँ’ रखा गया।”
उन्होंने बताया कि सनातन संस्कृति की परम्पराएँ हजारों वर्षों से भारत चेतना का संवहन कर रही हैं। यह शोधग्रंथ न केवल नये शैक्षिक मानक स्थापित करता है, बल्कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एपीआई और शैक्षिक रिकॉर्ड को बेहतर बनाने में भी सहायक है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है—मानवीयता और साहित्य का समन्वय करते हुए इसका अंतरविषयक (interdisciplinary) स्वरूप, जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है।
डॉ. त्रिपाठी का मानना है कि यह ग्रंथ विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा, क्योंकि इसमें शामिल सभी लेख ऐसे विद्वानों द्वारा लिखे गए हैं जो उच्च शिक्षा में अध्यापन और शोध कार्य से जुड़े हैं।
उन्होंने कहा. “अतः स्वाभाविक रूप से यह शोधपरक सामग्री अध्येताओं, विद्यार्थियों और सभी वर्ग के पाठकों के लिए लाभकारी होगी।”
संपादक ने अपने संदेश में सभी लेखकों और सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया. विशेष रूप से डिस्कवरी ग्रुप ऑफ पब्लिकेशन की प्रकाशन में निभाई गई भूमिका की सराहना की। उन्होंने अपनी नित्य आराध्या मेहर वाली माँ शारदा को नमन करते हुए कहा कि यह ग्रंथ उनकी आध्यात्मिक शक्ति का परिणाम है।
अंत में डॉ. त्रिपाठी ने विनम्रता से स्वीकार किया कि अथक प्रयासों के बावजूद कुछ अशुद्धियाँ संभव हैं। उन्होंने पाठकों से भविष्य के लिए सुझाव देने का आग्रह करते हुए कहा,
“मेरा उद्देश्य यही है कि यह ग्रंथ अपने लक्ष्यों में पूर्ण सफल हो और इससे जुड़े सभी विद्वानों के अभिष्ट सिद्ध हों।”
डॉ. शरदेन्दु कुमार त्रिपाठी का परिचय
“सफल और असफल लोग अपनी क्षमताओं में बहुत भिन्न नहीं होते, वे अपनी क्षमता तक पहुँचने की इच्छाओं में भिन्न होते हैं।” इसी जीवन दर्शन को आत्मसात करने वाले डॉ. शरदेन्दु कुमार त्रिपाठी वर्तमान में असिस्टेंट प्रोफेसर, प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर, उत्तर प्रदेश में कार्यरत हैं।

उच्च शिक्षा में दो दशकों का अध्यापन अनुभव रखने वाले डॉ. त्रिपाठी राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिष्ठित इतिहासकार, कवि और लेखक हैं। उन्होंने अब तक 35 शोधपत्र राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में प्रस्तुत किए, 25 शोधपत्र विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित कराए और पाँच महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘सनातन संस्कृति एवं परम्पराएँ’ नवीनतम कृति है।
शिक्षा और शोध के साथ-साथ वे सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, विरासत संरक्षण और शिक्षा सुधार से जुड़े कई आंदोलनों में उन्होंने नेतृत्व किया है, जिनमें पिपरहवा स्तूप के बहुमूल्य रत्नों की नीलामी रोकने का अभियान विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
भाजपा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के सक्रिय सदस्य के रूप में, वे गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक एमएलसी चुनाव 2026 के लिए मिशन मोड में कार्यरत हैं। डॉ. त्रिपाठी के साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान ने उन्हें प्रदेश के बौद्धिक व अकादमिक जगत में विशिष्ट पहचान दिलाई है।

डॉ. त्रिपाठी ने शिक्षा के साथ ही राजनीति को भी सेवा का जरिया बना लिया है. इसको वो आगे भी ले जाना चाहते हैं. साथ ही इसके लिए वो कड़ी मेहनत कर रहे हैं. वह गोरखपुर–फैज़ाबाद शिक्षक MLC चुनाव 2026 को जीतने के लिए जी-जान लगाए हुए हैं.
अब हम फैज़ाबाद शिक्षक MLC चुनाव 2026 के बारे में सटीक और संक्षिप्त जानकारी दे रहे हैं. इसमें चुनाव की समय-सारिणी, मतदाता अर्हता और प्रशासनिक तैयारी शामिल हैं.
गोरखपुर–फ़ैज़ाबाद शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में MLC चुनाव 2026 की प्रमुख जानकारी
निर्वाचन क्षेत्र और कार्यकाल समाप्ति: शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की कुल सीटें: यूपी विधान परिषद में 8 शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र हैं। इनमें से एक है गोरखपुर–फ़ैज़ाबाद।
कार्यकाल समाप्ति तिथि: 7 दिसंबर, 2026 को शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की 6 सीटों (लखनऊ, मेरठ, आगरा, वाराणसी, बरेली–मुरादाबाद और गोरखपुर–फ़ैज़ाबाद) का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
मतदाता अर्हता और सूची का संकलन: प्रारंभिक मतदाता सूची अंतिम रूप से तैयार करना: 1 नवंबर, 2025 से मतदाताओं की अर्हता जांच शुरू होगी।
शिक्षकों के लिए अर्हता मानदंड: केवल वे शिक्षक ही मतदाता सूची में शामिल किए जाएंगे जो पिछले छह वर्षों में कम से कम तीन वर्षों तक माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षण कार्य में सक्रिय रहे हों।
प्रक्रिया का उद्देश्य: मतदान केंद्रों का चयन इस प्रकार किया जाएगा कि प्रत्येक अर्ह मतदाता को मतदान के लिए स्वीकार्य दूरी पर सुविधा मिले (न्यूनतम दूरी, अधिकतम लगभग 16 किमी)।
प्रशासनिक और चुनावी तैयारियाँ: मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO), उत्तर प्रदेश, नवदीप रिणवा द्वारा मतदाता सूची पुनरीक्षण से पहले मतदान केंद्र चयन प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
तैयारी की प्रकृति: मतदान केंद्रों का चयन, ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल की व्यवस्था, ज़िला स्तर पर प्रशासनिक तैयारी और आवश्यक संसाधन सुनिश्चित करना शामिल है।