“भारत से जर्मनी: सपनों की नई मंजिल”
सिगन, जर्मनी (Siegen, Germany): भारत से निकल कर जर्मनी की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करना किसी सपने से कम नहीं है. इसके पीछे संघर्ष, तैयारी और हिम्मत का रोल अहम होता है.

भारतीय शहरों और गांवों से ताल्लुक रखने वाले बहुत से बच्चे आज जर्मनी के में की पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ साल पहले तक उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो यूरोप की किसी यूनिवर्सिटी के क्लासरूम में होंगे। लेकिन मेहनत, आत्मविश्वास और सही जानकारी के दम पर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।

जर्मनी में पढ़ाई करने का सपना पूरा करने के लिए यूरोप के एजुकेशन सिस्टम के बारे में जानकारी हासिल करना जरूरी होता है. इसके लिए जर्मन यूनिवर्सिटीज की वेबसाइट पर जाकर कोर्सेस, स्कॉलरशिप और वीजा प्रोसेस की जानकारी जुटानी पड़ती है.

जर्मनी में अच्छा कुछ करना है तो जर्मन लैंग्वेज जरूरी होती है. वहां पहुंचने पर शुरुआत में जर्मन भाषा एक बड़ी चुनौती होती है. लेकिन जैसे ही A2 और फिर B1 लेवल पास कर लेते हैं. आवेदन करना आसान हो जाता है.

जर्मनी जाने के लिए वीजा के लिए डॉक्यूमेंटेशन कराना और ब्लॉक्ड अकाउंट जैसी प्रक्रिया बहुत मुश्किल होती है. लेकिन हर स्टेप को प्लान करके पूरा करना पड़ता है. इस देश में संघर्ष करने वालों के लिए DAAD स्कॉलरशिप / पार्ट-टाइम जॉब से आर्थिक मदद भी मिलती है.
जर्मनी में अधिकतर शिक्षा तो फ्री है, लेकिन रहने का खर्च मैनेज करना सबसे बड़ा टास्क होता है. लंबा कर्ज लेना पड़ता है. बड़ा कलेजा दिखाना पड़ता है.

जर्मनी पहुंचने के बाद वहां की संस्कृति और मौसम दोनों से तालमेल बैठाने में काफी समय लगता है. यहां की जर्मन भाषा काफी टफ है. पसीने छूट जाते हैं. शिक्षा के बारे में समझिए तो यहां की प्रैक्टिकल है. यहां हर दिन कुछ अधिक ही सीखना पड़ता है. नए मौके और नई चुनौतियां भी मिलती हैं.

वहां पर स्थानीय छात्रों के साथ ग्रुप प्रोजेक्ट करने पड़ते हैं. यहां मौका मिलते ही भारतीय छात्र-छात्राएं कभी-कभार मिलजुल कर खाना खुद बनाकर दोस्तों को खिलाते हैं.

यहां संघर्ष भरी जिंंदगी गुजारने वाले कहते हैं कि अगर आपके पास लक्ष्य है और आप रिसर्च करने को बेताब हैं, तो विदेश में पढ़ाई करना नामुमकिन नहीं है. हां, ये जरूर है कि सही गाइडेंस मिलनी चाहिए. इसके लिए सही और सटीक तैयारी करनी चाहिए.

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के रहने वाले आदर्श पाण्डेय आजकल जर्मनी में सिगेन विश्वविद्यालय, सिगेन में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्हें जर्मन सीखने में काफी मेहनत करनी पड़ रही है. वो कहते हैं कि यहां बगैर जर्मन के अच्छी बात नहीं बन सकती है. ये भाषा यहां काम करने के लिए बहुत जरूरी है.

सीजेन विश्वविद्यालय (University of Siegen) जर्मनी के उत्तरी राइन-वेस्टफेलिया प्रदेश के सीजेन शहर में स्थित एक सार्वजनिक शोध विश्वविद्यालय है. इसकी स्थापना 1972 में हुई थी. यह 16वीं सदी के संस्थानों की विरासत से विकसित हुआ है. यह एक आधुनिक और उच्च-प्रोफाइल विश्वविद्यालय है. यहां अंतरराष्ट्रीय छात्रों का काफी खैर मकदम किया जाता है.

जर्मनी के राज्य North Rhine‑Westphalia में स्थित Siegen शहर “सिग्ग नदी” (Sieg) की घाटी में है. प्राकृतिक रूप से यहां हरे-भरे क्षेत्र में हैं.

यहां के भाग में हिल्स व जंगल भी हैं, जो यहां की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. यहां नेचर से जुड़ी गतिविधियों के लिए अच्छा अवसर मिलता है।
Siegen में मौसम बेहद खास है. यहां गर्मी के महीने (जुलाई/अगस्त) में औसत अधिकतम तापमान लगभग 21.9 °C होता है.
यहां भारतीय स्टूडेंट्स मिलजुलकर रहते हैं. कभी-कभी एक साथ मिलकर सफर को आसान बनाते हैं. खाना-नाश्ता साथ मिलकर करते हैं.
यहां बस सेवा के साथ ही लोकल ट्रेन का भी सभी आनंद उठाते हैं. ट्रेन से सफर करना बड़ा ही खूबसूरत होता है.
यहां साल भर खेल का लोग लुत्फ उठाते हैं. हर तरह का खेल खेलते हैं. मगर फुटबाल की दीवानगी यहां देखने को खूब मिलती है.
यहां फुटबाल के कई क्लब हैं. खिलाड़ी मैदान में खेलने जाते हैं. वहीं इस सॉकर खेल को देखने दीवाने भी मैदान में पहुंच जाते हैं.
बारिश भी यहां खूब होती है. वर्ष में लगभग 183.6 दिनों पर वर्षा होती है और कुल वर्षा लगभग 635 मिमी है. नदियों, झीलों में पानी रहता है.
यहां सबसे धूप वाला महीना अगस्त है. इस दौरान यहां औसतन 9.1 घंटे धूप मिलती है। बर्फबारी जनवरी से मई व अक्टूबर-दिसंबर तक होती है. यहां पूरे साल में करीब 38.7 दिन तक बर्फ गिरने के दिन होते हैं। यहां बर्फीली हवाएं चलती हैं.
सर्दियों में जनवरी महीने में औसत उच्च तापमान लगभग 2.2 °C और न्यूनतम लगभग -2 °C तक हो जाता है.
इस तरह से कह सकते हैं कि ये शहर लोगों को बहुत ही आकर्षक लगता है. प्रकृति के करीब है. करियर की उड़ान के लिए अच्छा है. यहां पढ़ाई-लिखाई का स्तर काफी उम्दा है.
