Sengol_Parliament: नई संसद में सत्ता परिवर्तन के प्रतीक सेंगोल को रखा जाएगा। सेंगोल को प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अंग्रेजों से लिया था। सेंगोल (Sengol) अभी इलाहाबाद म्यूजियम में रखा गया है। इसे संसद भवन में स्पीकर की कुर्सी के बगल में रखा जाएगा।
Sengol_Parliament: बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई को दोपहर 12 बजे नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। प्रधानमंत्री नए भवन में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक चिह्न सेंगोल (Sengol) भी स्थापित करेंगे।
14 अगस्त 1947 को रात 10:45 बजे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सेंगोल अंग्रेजों से लिया था। तब इसे तमिलनाडु से मंगवाया गया था। अभी यह प्रयागराज के एक म्यूजियम में रखा गया है।
सेंगोल चोल साम्राज्य की परंपरा रही है। जब भी कोई राजा बनाता था, उसे यह राजदंड दिया जाता था। सेंगोल का अर्थ होता है- संपदा से सम्पन्न।
Sengol_Parliament: सेंगोल को नई बिल्डिंग में इसे स्पीकर की कुर्सी के बगल में रखा जाएगा। यह आजादी के अमृत महोत्सव का प्रतिबिंब होगा। हालांकि 1947 के बाद कांग्रेस पार्टी ने इसे भुला दिया। कहीं भी इसका जिक्र नहीं होता था। बाद में 24 साल बाद एक तमिल विद्वान ने इसकी चर्चा की। सरकारी डेटा में 2021-22 में इसका जिक्र मिलता है। गौर करने वाली बात ये है कि 96 साल के जो तमिल विद्वान पंडित नेहरू को सेंगोल सौंपते समय मौजूद थे। 28 मई को भी वह संसद के नए भवन में सेंगोल के स्थापना के समय मौजूद रहेंगे।
Sengol_Parliament: 14 अगस्त, 1947 की रात थिरुवदुथुरै अधीनम के प्रतिनिधि श्री ला श्री कुमारस्वामी थम्बिरन ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को सुनहरा राजदंड भेंट किया था। सेंगोल का इस्तेमाल जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के दौरान किया था। बाद में सेंगोल को प्रयागराज के एक म्यूजियम में रखा गया था।
सेंगोल की ख़ासियत
- सेंगोल पर सबसे ऊपर नंदी हैं और बगल में कुछ कलाकृति बनी हैं। यह सोने और चांदी का बना होता है।
- सेंगोल पर सबसे ऊपर नंदी हैं और बगल में कुछ कलाकृति बनी हैं। यह सोने और चांदी का बना होता है।
- सेंगोल शब्द संस्कृत के ‘संकु’ से लिया गया है। इसका मतलब शंख होता है।
- सेंगोल शब्द संस्कृत के ‘संकु’ से लिया गया है। इसका मतलब शंख होता है।
Sengol_Parliament: सेंगोल शब्द संस्कृत के ‘संकु’ से लिया गया है। इसका मतलब शंख होता है। सेंगोल पर सबसे ऊपर नंदी हैं और बगल में कुछ कलाकृति बनी हैं। यह सोने और चांदी का बना होता है। भारत में सेंगोल का इतिहास काफी पुराना है। सबसे पहले मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) द्वारा इसका उपयोग किया गया था।
इसके बाद गुप्त साम्राज्य (320-550 ईस्वी) फिर चोल वंश में आया। जहां इसका इस्तेमाल ज्यादा किया जाता था। बाद में यह मुगलों के पास आया और जब अंग्रेज भारत आए तो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस पर अपना अधिकार जमा लिया।