Kharge Lashes PM Modi: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर सवाल उठा दिए। खरगे ने कहा है कि बीते कुछ सालों में पीएम मोदी कई बार अमेरिका गए, लेकिन वह IMF को पाकिस्तान को कर्ज दिलवाने से एक बार फिर नहीं रोक पाए। इससे पहले खरगे ने ऑपरेशन सिंदूर को कथित तौर पर छोटा युद्ध बता दिया था, जिसके बाद विवाद भड़क गया था।”
मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में खरगे ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी पिछले 11 सालों से लगातार विदेश यात्राएं कर रहे हैं, लेकिन जब भारत को पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन की जरूरत थी, तो कोई भी देश हमारा साथ देने के लिए आगे नहीं आया।” उन्होंने कहा, “पिछले 11 सालों में प्रधानमंत्री मोदी ने 151 विदेश यात्राएं की हैं और 72 देशों का दौरा किया है। उन्होंने 10 बार अमेरिका का दौरा किया है। फिर भी मोदी सरकार की विदेश नीति की वजह से हमारा देश अकेला खड़ा है। क्या प्रधानमंत्री का काम सिर्फ विदेश जाकर फोटो खिंचवाना है?”
उन्होंने पाकिस्तान को हाल ही में मिले IMF से मिले लोन पर सवाल उठते हुए उन्होंने कहा, “आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1.4 बिलियन डॉलर का बेलआउट लोन दिया है। लेकिन किसी ने भी भारत के रुख का समर्थन नहीं किया।” खरगे ने युद्धविराम के तरीकों पर भी सवाल उठाया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा, “जब हमारी बहादुर सेनाएं आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चला रही थीं, तब अचानक युद्ध विराम की घोषणा कर दी गई।”
उन्होंने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह कहकर हमारे देश का अपमान किया है कि मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम करवाया। ट्रंप ने इसे कम से कम 7 बार दोहराया भी।
विदेश यात्राओं पर प्रश्न
Kharge Lashes PM Modi: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर प्रश्नचिह्न लगाए गए.
विदेश दौरे: संख्या बनाम परिणाम
11 वर्ष, 151 विदेश यात्राएं, 72 देश, फिर भी खाली हाथ!
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 11 वर्षों में कुल 151 विदेश यात्राएं की हैं और 72 विभिन्न देशों का दौरा किया है। इन यात्राओं का विश्लेषण करते हुए खरगे ने निष्कर्ष निकाला — कोई ठोस वैश्विक परिणाम नहीं निकला।
वैश्विक मंच पर भारत: स्थिति “अलग-थलग”
खरगे का आकलन: जब भारत को पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने की आवश्यकता थी, तो कोई भी देश भारत के समर्थन में सामने नहीं आया। इस स्थिति को उन्होंने भारत की “डिप्लोमैटिक आइसोलेशन” की संज्ञा दी।
प्रश्न: विदेश नीति या फ़ोटो ऑप?
कथन विश्लेषण:
“क्या प्रधानमंत्री का कार्य केवल विदेश जाकर फोटो खिंचवाना है?” — मल्लिकार्जुन खरगे
खरगे ने मोदी की विदेश यात्राओं को प्रचार गतिविधि के रूप में परिभाषित करने का प्रयास किया।
IMF-पाकिस्तान मामला: भारत की अनदेखी?
IMF द्वारा पाकिस्तान को 1.4 बिलियन डॉलर का बेलआउट लोन को लेकर भी सरकार की कोशिश पर सवाल उठे हैं. खरगे के अनुसार, इस बेलआउट के खिलाफ भारत का विरोध दर्ज होने के बावजूद वैश्विक संस्थाएं या सहयोगी देश भारत के पक्ष में सामने नहीं आए। इससे भारत की कूटनीतिक प्रभावशीलता पर सवाल उठते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर और युद्धविराम विवाद
खरगे ने सरकार द्वारा आतंकवाद विरोधी अभियान के बीच अचानक युद्धविराम घोषित करने पर असहमति जताई। साथ ही पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर भी प्रश्न उठाया, जिसमें उन्होंने भारत-पाक युद्धविराम का श्रेय स्वयं को दिया था।
डिप्लोमैटिक इफेक्टिवनेस अंडर स्कैनर
मल्लिकार्जुन खरगे के अनुसार, सरकार की विदेश नीति “पर्याप्त प्रभाव नहीं डाल पा रही” है। उन्होंने मांग की कि विदेश यात्राओं की उपयोगिता की निष्पक्ष समीक्षा होनी चाहिए।